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पर्यावरण

गांधी विचार जितने एक शताब्दी पहले प्रासंगिक थे, उतने ही आज भी, उन्हे समझने और सही क्रियान्वयन करने की जरूरत चण्डी प्रसाद भट्ट

चमोली/गोपेश्वर: प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता व गांधी शांति पुरूस्कार से सम्मानित चण्डी प्रसाद भट्ट ने गांधी जयंती के अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को संबोधित किया। चमोली जनपद स्थित बछेर गांव के सर्वोदय केन्द्र में, दशोली ग्राम स्वराज्य मण्डल और सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र द्वारा अयोजित इस समारोह में अलग.अलग गांवों से शामिल महिलाओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर भट्ट ने गांधी जी के आदर्शों और विचारों को सभी शमिल लोगों के साथ साझा किया।

भट्ट ने कहा कि गांधी विचार जितने एक शताब्दी पहले प्रासंगिक थे उतने ही आज भी है। जरूरत उन्हे समझने और सही क्रियान्वयन करने की है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद गांवो से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है, जिससे गांव के पुराने काम.धंधे बंद हुए और जो गांव कभी अपनी जरूरतों के लिए लगभग आत्मनिर्भर होते थे, वे अब हर जरूरी चीज के लिए बाहर की चीजों पर निर्भर हो गए हैं।

उन्होंने इस मौके पर उपस्थित लोगों का गांधी जी के कर्मशीलता के सीख को जीवन में उतारने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि कर्मशील बनने के साथ संसाधनों के युक्तियुक्त और आवश्यक उपयोग पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कि गांधी जी के सतत विकास का मूल आज भी गांधी जी के विचारों में छुपा है। भारत जैसे ग्रामीण आबादी वाले देश में गांधी जी ने जिस ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना की थी, आज की हमारी आधी से अधिक समस्याओं का निदान इस विचार में छुपा है। गांधी जी ने आजादी मिलने से पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था में गांवों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाने की कोशिश की थी।

भट्ट ने आगे कहा कि विकसित भारत में आत्मनिर्भर गांवों की उनकी परिकल्पना पर यदि आज भी ईमानदारी से कार्य हो तो भारत देश विशाल जनसंख्या वाले देश की वुनियादी जरूरतें पूरी हो सकती है। इसके जरिये बेरोजगारी दूर हो सकती है। इसी में सबको रोटी, कपड़ा और मकान से जुड़ी बुनियादी जरूरते पूरी की जा सकती है।
उन्होंने कहा उस जमाने के हालात को ध्यान में रखते हुए गांधी जी ने बदलाव के लिए लोगों की चेतना विकसित करने की कोशिश कर दी थी। अपने विचारों में गांधी ने भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश को पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण से बचने की सलाह दी थी। उन्होंने भारत के लाखों गांवों के लिए, ग्राम स्वराज्य के लिए पूरी एक परिकल्पना प्रस्तुत की थी।

इस मौके पर महिला मंगल दल की सदस्याओं ने तकली प्रतियोगिता में भाग लिया और गांव की समस्याओं के निराकरण के लिए गांधी के विचारों और कार्यो पर अपने विचार व्यक्त किए। बछेर, रोपा और टेड़ा खंसाल गांव की महिला मंगल संगठन को बेहतरीन कताई के लिए सीपी भट्ट पर्यावरण एवं बिकास केंद्र द्वारा सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन मंगला कोठियाल ने किया, जिसमें अलग.अलग गांवों से आयी एक दर्जन से अधिक महिला मंगल दलों की पदाधिकारियों, ग्राम प्रधानो, वन पंचायतों, सरपंचों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर मुरारी लाल, सुमन देवी, भक्ति देवी, मंदोदरी देवी, कल्पि देवी, बचन सिंह आदि ने भी गाँधी जी पर विचार ब्यक्त किये।