भारतवर्ष की दो महान विभुतियों को अर्पित किए श्रद्धासुमन
ऋषिकेश, 17 अप्रैल। आज तात्या टोपे और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में तात्या टोपे एक प्रमुख सेनानायक थे उन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक के रूप में अद्भुत भूमिका निभायी थी। 1857 के विद्रोह में तात्या टोपे और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने क्रांति का नेतृत्व किया । सीमित संसाधनों के बावजूद इस विद्रोह में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। 1857 की क्रांति ने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत का कार्य किया।
भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और महान आस्थावान हिन्दू विचारक डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को याद करते हुये स्वामी जी ने कहा कि डा राधाकृष्णन जी को उनकी महान दार्शनिकता व शैक्षिक उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। श्री राधाकृष्णन जी ने अपने वेदान्त दर्शन के माध्यम से पूर्व और पश्चिम के दर्शन में समन्वय लाने हेतु अद्भुत प्रयास किये। उनके दर्शन में विश्व की अनेक आध्यात्मिक धारायें समाहित थी। उनके पूरे दर्शन के केन्द्र में अध्यात्म विद्यमान है।
स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है और भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति, दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी 20वीं सदी के महानतम विचारकों और शिक्षाविदों में से एक है जिन्होंने भारतीय समाज में शिक्षा के महत्व को प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
परमार्थ गंगा आरती तात्या टोपे और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को समर्पित की गई।