UttarakhandDIPR

धर्म-संस्कृति

अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा: डा. मोहन भागवत

देहरादून: सहारनपुर में मोक्षायतन योग संस्थान के 49वें स्थापना दिवस समारोह के मौके पर संघ प्रमुख डा. मोहन भागवत ने योग की कई परिभाषा बताने के साथ इसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा। इसके पीछे के सत्य को देखना योग है। इस अवसर पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं।

मोहन भागवत ने कहा, योग का मतलब है झुकना। कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं। हमारे यहां जीवन में बुद्धि शरीर के लिए नहीं है। मनुष्य के अस्तित्व का सूत्र एक है, इसे जो समझ लेता है उसका कोई शत्रु नहीं रहता, कोई दुख नहीं रहता। ऐसा जीवन जीकर दिखाना हमारा दायित्व है। हमारे पूर्वजों ने यह दायित्व हमें दिया है। दुखमुक्त होने के बाद हमें दुनिया को दुखमुक्त करना है। हमेशा समुद्र की लहरें होती हैं, लहरों के समुद्र नहीं होते। स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करना, यही भारत है। इसके अब कई प्रमाण मिल रहे हैं। निस्वार्थ बुद्धि से यह काम चलता है, यही हम सबका कर्तव्य है।

भागवत ने आगे कहा कि विश्व का स्वरूप सत्य है। हर बात के पीछे एक सत्य होता है। गीता में भी कहा गया है। बंधन क्यों होता है। मानव में असीम शक्ति होती है। हमारे शरीर मन बुद्धि की प्रवित्तियों के बारे में दिखाई नहीं देता, जो बीच में आ गया वही दिखता है। जो शांत है उसका सब दिखता है। योग यानी झुकना। यानी जो ऊपर की माया है मन बुद्धि शरीर। आज का न्यूरो साइंस कहता है कि माया है, वही आप समझ पाते हो जिसे आपके साफ्टवेयर में डाला गया है। 

इसके बाद उन्‍होंने कहा कि अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा। इसके पीछे के सत्य को देखना योग है। प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित करना योग है। संतुलन भी योग है। योग का पेटेंट भारत के नाम पर हो, यह योग भारत का है। दुनिया कल्पना करती है शांति की, बात यही बताएंगे लेकिन यह होगा कैसे यह दुनिया के पास नहीं है। क्योंकि उनके पास इसका तरीका नहीं है, उनके पास सिर्फ भौतिक ज्ञान है।

भागवत ने आगे कहा, एक तो वैज्ञानिकों ने यह कहा कि भगवान हैं तो उनको उनकी टेस्ट ट्यूब में आना होगा, अब विज्ञान समझने लगा है। अब विज्ञान गणित से प्राप्त होता है। मन से परे बुद्धि, बुद्धि से परे जो है वह सत्य है। वो अर्थ काम। मोक्ष को समझते हैं, लेकिन मोक्ष के लिए जो धर्म चाहिए वो उनके पास नहीं है। योग हमें समुदाय पर्यावरण प्रकृति से जोड़ता है। कलाकार कला की साधना करते हुए परम् तत्व तक पहुंच जाते हैं।