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एक सप्ताह तक हिमालय दिवस मनाने के सुझाव पर सीएम ने दी सहमति, परमार्थ निकेतन में होगा कार्यक्रम

देहरादून: प्रदेश में हिमालय दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी, तब शुक्लापुर स्थित हेस्को कार्यालय में एक गोष्ठी में इसकी नींव रखी गई थी। हिमालय के संरक्षण के लिए उत्तराखंड में 11 साल पहले शुरू हुई मुहिम 12वें वर्ष में प्रवेश कर गई है। जिसपर इस बार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय दिवस को एक सप्ताह तक मनाने के सुझाव पर अपनी सहमति दी है।

इस वर्ष भी नौ सितंबर को हिमालय दिवस को व्यापक रूप से मनाने की तैयारी है। इस बार मुख्य कार्यक्रम नौ सिंतबर को ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में होगा। इस मुहिम में प्रख्यात पर्यावरणविद् स्व. सुंदर लाल बहुगुणा, बिमला बहन, राधा बहन, सुरेश भाई और जन आंदोलनों से जुड़े कई लोग शामिल थे। गोष्ठी में डॉ. अनिल जोशी के प्रस्ताव पर हर वर्ष हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था।

डॉ. अनिल जोशी ने बताया कि हिमालय दिसव मनाने का हमारा उद्देश्य उसके प्रति नमन और लोगों में खासकर नई पीढ़ी में नई चेतना जगाना है। पिछले 12 वर्षों में लगातार हम इस दिवस को मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10-12 सालों में हम इससे क्या कुछ जुटा पाए, इसके बहुत सारे उदाहरण हैं।

विभिन्न संस्थानों में हिमालय से संदर्भित शोध शुरू हुए हैं। विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने हिमालय बायोस्फीयर मिशन को शुरू किया है। इसी तरह हिमालय से जुड़े हुए कई ऐसे कार्यों की तरफ हम बढ़ें हैं, जो शायद इस तरह की तमाम चचाओं के बाद ही सामने आए। इस बार हिमालय दिवस का विषय हिमालय जल वायु नियंत्रक के रूप में रखा गया है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने हिमालय दिवस को आधिकारिक रूप से मनाने की घोषणा की थी।