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अंकिता मर्डस केस: शासकीय अधिवक्ता पर गंभीरता न दिखाने का आरोप

-पिता ने की अधिवक्ता को हटाने की मांग

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्याकांड में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक (शासकीय अधिवक्ता) पर अंकिता के पिता ने केस से हटाने की मांग की है। उन्होंने शासकीय अधिवक्ता पर बेटी को न्याय दिलाने के प्रति गंभीरता नहीं दिखाने का आरोप लगाया।

अंकिता के पिता का कहना है कि शासकीय अधिवक्ता अंकिता हत्याकांड प्रकरण से संबंधित आपत्तिजनक वीडियो यू-ट्यूब पर प्रसारित कर रहे हैं। न्यायालय में सुनवाई के दौरान गवाहो के बयानो को भी मूल रुप में नहीं रख रहे हैं। उन्होंने पांच जून तक सरकारी वकील को सुनवाई से नहीं हटाए जाने पर परिवार व ग्रामीणों के साथ छह जून से डीएम कार्यालय परिसर में धरना दिए जाने की चेतावनी दी है।

अंकिता भंडारी हत्याकांड प्रकरण में एक बार फिर एक नया मोड आ गया है। जनवरी 2023 में अंकिता के परिजनों ने हत्याकांड के मुख्य आरोपी की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) द्वारा पैरवी किए जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए उन्हें तत्काल पद से हटाए जाने की मांग की थी।

इसके बाद सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया था। अब अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी ने हत्याकांड की पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक पर केस को कमजोर करने का आरोप लगाए हैं। उन्हें केस से हटाने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में डीएम पौड़ी को पत्र सौंपकर कार्रवाई करने करने की मांग की है। डीएम कार्यालय आए भंडारी ने बताया कि अंकिता हत्याकांड की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटद्वार की अदालत में चल रही है। सरकार की ओर से अंकिता हत्याकांड की पैरवी विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र रावत कर रहे हैं। वह केस की कमजोर पैरवी कर रहे हैं। कहा प्रकरण में एक गवाह ने अंकिता की हत्या से पहले नजरबंद कर दुराचार किए जाने का आरोप लगाया था। एक अन्य गवाह ने अंकिता से लगातार दुर्व्यवहार की बात कही। लेकिन सरकारी वकील ने न्यायालय में ऐसे तथ्यों को उजागर नहीं करते हुए, सिर्फ छेड़छोड़ की घटना के तहत बयान कराए। इससे स्पष्ट है कि सरकारी वकील आरोपियों को बचा रहे हैं।

जबकि इससे पहले एक सरकारी वकील आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे थे। भंडारी ने कहा सरकार कह रही है कि अंकिता को न्याय दिलाएगी। लेकिन सरकारी वकील ही हत्याकांड केस को कमजोर करने पर आमादा है। कहा सरकार से मांग है कि नया शासकीय अधिवक्ता नियुक्त किए जाने पर परिजनो की सहमति अवश्य ली जाय।