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हिंदी पट्टी में भाजपा का दबदबा जारी

हिंदी पट्टी में भाजपा का दबदबा जारी
भारत की हिंदी पट्टी में आने वाले क्षेत्र राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को नवम्बर मास में हुए विधान सभा चुनावों में करारी शिकस्त मिली है। ज्ञात हो की तेलंगाना व मिजोरम सहित पांच राज्यों में हुए चुनावों का परिणाम आज तीन दिसम्बर कै आना निर्धारित किया गया था लेकिन बाद में मिजोरम के चुनावी मतों की गणना 4 दिसम्बर को किया जाना तय हुआ इस प्रकार आज 3 दिसंबर को केवल चार राज्यों के मतों की गणना हुई जिसमें से तीन राज्य क्रमशः राजस्थान(199/208 सीट) मध्य प्रदेश (230 सीट)और छत्तीसगढ़ (90 सीट)के नतीजे जबरदस्त तरीके से भारतीय जनता पार्टी की पक्ष में आए जबकि एकमात्र तेलंगाना (119 सीट)राज्य में कांग्रेस पार्टी (63) को स्पष्ट बहुमत मिला है जिससे कांग्रेस के लिए दक्षिणी राज्यों का मार्ग प्रशस्त हुआ है और कांग्रेसी नेताओं को आशा हुई है कि वे दक्षिणी राज्यों में अपना खोया हुआ आधार फिर से पास सकेंगे।
बता दें कि घोषित किये गए परिणामों के अनुसार राजस्थान की कुल 200 विधान सभा सीटों में से 199 पर चुनाव हुए जबकि एक प्रत्याशी की मृत्यु हो जाने के कारण उस सीट पर चुनाव नहीं हुआ। वहीं 199 सीटों में से 116 सीटे भाजपा के खाते में गई तो 68 सीटों पर कांग्रेस को सबर करना पड़ा। यहां निर्दलीय व अन्य दल 19 सीट हासिल करने में कामयाब रहे। कुछ एक्जिट पोल में दिखाई जा रही हंग एसेम्बली के चलते यहां हार्स ट्रेडिंग की संभावनाएं भी जताई जा रही थी जिसे राजस्थान की जनता ने सिरे से नकार दिया। बताया जा रहा है आज शाम ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप देंगे।
उधर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में भारतीय जनता पार्टी को जबरदस्त जनादेश मिला जिसके चलते मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से भाजपा 166 सीटें प्राप्त कर सरकार बनाने जा रही है तो वहीं छत्तीसगढ में भी मतदाताओं ने चौंकाने वाले परिणाम देकर भाजपा को 90 सीटों में से 56 सीटे देकर सत्ता सौप दी जबकि बहुमत का ख्वाब सजाए कांग्रेस को महज 34 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।
सीटों के अंक गणित के बाद अब बारी है ताज पोशी की जिसके लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश में कद्दावर नेताओं की एक लम्बी फेहरिस्त है तो वहीं तेलंगाना में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की लाटरी खुलने की सम्भावना जताई जा रही है। विजयी प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ताजपोशी का करिश्मा विधयक दल से अधिक हाईकमान के पाले में है तो देखना है कि इन राज्यों में किस किस के सिर ताज बंधता है और कौन सा मामा या भाई जनता को कितनी राहत दिलाता है।