मालदीव, लक्षद्वीप और गुजरात का अनोखा त्रिकोण
मालदीव, लक्षद्वीप और गुजरात का अनोखा त्रिकोण
देहरादून। भारत और मालदीव के बीच राजनीतिक विवाद का असर एक तरफ राजनीतिक गलियारों में छाया हुआ है जिसके चलते मालदीव के वरिष्ठ नेताओं को भी भारत से छमा याचना करनी पड़ी है और वहां के कुछ नेताओं को लताड़ भी लगी है लेकिन दूसरी तरफ अगर देखा जाए तो इस विवाद के मध्य लक्षद्वीप को प्रमोट भी किया गया है। इस बीच एक महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आया है वह यह कि लक्षद्वीप में गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक कंपनी जो लक्षद्वीप में इंटरसिटी बना रही है जिसका नाम प्रवेग है इस कंपनी का काम लक्षद्वीप में मुसाफिरों व सैलानियों को आकर्षित करना और उन्हें सैर सपाटे के लिए उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध करना है। अहमदाबाद की यह एक स्माल कैप फर्म हैं भारत मालदीव की बीच राजनीतिक विवाद का फायदा प्रवेग को मिल रहा है। “चलो लक्षद्वीप” जैसी मुहिम को लोगों का भरपूर साथ का लाभ मिल रहा है। प्रवेग नामक कंपनी लक्षद्वीप में कारोबार करने वाली कुछ ही कंपनियों में शामिल है हालिया विवाद के बाद प्रवेग की ओर निवेशकों का तेजी से ध्यान गया और दो दिन से अंतराल में ही प्रवेग के शेयरों ने एक साल के उच्चतर स्तर को छू लिया है और यह सोमवार को 153.55 की बढ़ोतरी के बाद 1187.95 पर जा पहुंचा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव सरकार के तीन उप मंत्रियों की ओर से की गई अपमानजनक टिप्पणियों के बाद यह रिवाज शुरू हुआ है और मामला बढ़ने के बाद से भारत में मालदीव का जमकर बहिष्कार हो रहा है। मालद्वीप सरकार ने अपने उपमंत्रियों को कथित तौर पर निलंबित कर दिया है लेकिन भारत में लोग इस मामले को जल्दी छोड़ने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं । भारत और मालदीव के बीच जुबानी विवाद की शुरुआत हुई तो मालदीव की राजधानी माले में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त को देश के विदेश मंत्रालय ने समन भेजा मालद्वीप की तरफ से यह कदम तब उठाया गया जब भारत ने दिल्ली में मौजूद मालद्वीप की राजदूत को तलब किया। भारत और मालदीव के रिश्ते यूं तो काफी पुराने हैं और जब भी मालद्वीप को संकट का सामना करना पड़ा है तब तब उसकी भारत ने मदद् की है कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत में वैक्सीन की खेप मालद्वीप पहुंची थी इसके अलावा 2014 में मालद्वीप में पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई थी तब भारत ने पानी के जहाज से पानी भरकर वहां भेजा और लोगों की मदद की। मालदीव में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले मोहम्मद मोईज्जू के आगमन के साथ दोनों देशों के रिश्ते जटिल हो गए हैं। मोईज्जू को चीन समर्थक माना जाता है और ऐसा उनके बयानों से साबित हो गया। मोईज्जू के राष्ट्रपति बनते ही मालदीव की सुरक्षा के लिए से नाथ भारतीय सैनिकों को यहां से जाने को उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान ही इंडिया आउट मुहिम चलाई थी उनकी सरकार भारत के खिलाफ नहीं है इस प्रकार भारत मालदीव के विकल्प की नीति तैयार कर रहा है जिससे मालदीव के कुछ नेताओं को नागवार गुजरा। उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करना शुरु कर दिया जिसमें मालदीव के कुछ मंत्री भी शामिल हैं।
इसके नतीजे के तौर पर भारत अपने आयरलैंड लक्ष्य दीप को अपनाने पर जोर दे रहे हैं इसी बीच यह भी देखा गया है कि मालदीव विवाद ने कुछ कंपनियों कारोबारी को राहत पहुंचाई है विशेष तौर से प्रवेग नामक कंपनी को जो अहमदाबाद से संबंधित है इस प्रकार कहा जा सकता है कि मालदीव गुजरात और लक्ष्यद्वीप त्रिकोण बन गया है।