दुल्हनों की ना! अग्निवीरों के लिए दुल्हन ढूंढना बना चुनौती
दुल्हनों की ना! अग्निवीरों के लिए दुल्हन ढूंढना बना चुनौती
देहरादून। वर्ष 2022 में भारत सरकार ने जोर शोर से अग्निवीरों की भर्ती शुरु की। बताया गया कि ट्रेनिंग के बाद अग्निवीरों को फिक्स्ड इनकम आधार पर चार वर्ष की नियुक्ति दी जाएगी, जिसके उपरांत 25% अग्निवीरों को भारतीय फौज के विभिन्न अंगों में नियमित नियुक्ति दी जानी थी। वर्ष 2023 में अग्निवीरों के पहले बैच को नियुक्त किया भी गया लेकिन अग्निवीरों में से फौज में नियुक्ति पाने वाले 25% के अलावा बाकी 75% अग्निवीरों का क्या भविष्य होगा इसी को लेकर देश भर में चर्चा रही और आज इसमें एक चिंता भी जुड़ गई है।
दरअसल पहाड़ों में युवाओं का फौज की नौकरी में होना बड़े गर्व की बात होता है। इसमें पक्की नौकरी के साथ परिवार के भविष्य की सुरक्षा का भी अहम हिस्सा रहता है। दूसरी तरफ अग्निवीर पथ में केवल चार साल की नौकरी वह भी कम सेलरी व सुविधाओं पर अग्निवीरों के परिजनो के साथ साथ अग्निवीरों के सम्भावित जीवन साथी के लिए भी बहुत चिंता का सबब हो गया है।
दूसरी तरफ दुल्हन बनने का सपना संजोए लड़कियां अग्निवीरों के साथ सात फेरों में बंधने को न तो बेहतर मान रही हैं न ही सुरक्षित, उनका संशय भी जायज है। आखिर चार साल की नौकरी के बाद उनका जीवन कैसा होगा यही है चिंता का असली सबब। इसलिए उत्तराखंड की लड़कियां अग्निवीरों के आए रिश्तों को नकारने लगीं हैं। लड़कियां साफ कह रही हैं कि चार साल के बाद अग्निवीर बेरोजगार हो जाएगा फिर उनका क्या होगा। अग्निवीरों के परिजनों के लिए लड़कियां ढूंढना एक चुनौती बन गया है। अग्नीवीर को पेंशन भी नहीं मिलेगी। परिजनों के लिए अपने अग्नीवीर बेटों के लिए दुल्हन ढूंढना अग्निपथ पर चलने या सीमा पर आने वाली चुनौतियों से कम नहीं है। डीडीहाट तहसील के करीब पांच से अधिक अग्निवीरों के परिजनों ने बताया कि उनके बेटों के लिए दुल्हन नहीं मिल रही हैं। लड़कियां उनसे शादी करने से सीधे-सीधे इन्कार कर दे रही हैं। भले ही फौजी आठ पास की भर्ती से फौजी बना होता था परंतु उसकी पत्नी स्नातक या बीएड पास होती थी। अब स्थिति बदल गई है।
देखना यह है कि सरकार अग्निवीरों और उनके के परिजनों की स्वभाविक चिंता पर ध्यान देगी या फिर भविष्य की जिम्मेदारियों से लैस होने के बाद प्रशिक्षित अग्निवीर अपने जीवन के अग्निपथ में झुलसकर रह जाएंगे।