रुद्रप्रयाग में उत्तराखंड क्रांति दल को नई धार दे रहे युवा नेता मोहित डिमरी
देहरादून: राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड क्रांति दल का ग्राफ बढ़ने के बजाय लगातार नीचे गिरा है। उत्तराखंड आंदोलन में उक्रांद ने भले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन राज्य बनने के बाद से ही दल जनता के बीच अपनी पकड़ नहीं बना पाया। और 21 वर्ष बाद भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। आज भी उक्रांद की अंदरूनी लड़ाई उसे ले डूब रही है। हालांकि अब नए ऊर्जावान युवा उक्रांद से जुड़ कर दल को नई धार देकर संजीवनी का काम कर रहे हैं। इन्हीं ऊर्जावान युवाओं में शामिल हैं रुद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के मोहित डिमरी।
मोहित एक वर्ष पहले ही उक्रांद में शामिल हुए हैं। तब से लेकर अभी तक वह रुद्रप्रयाग जिले के प्रत्येक गांव-गांव जाकर बुनियादी मुद्दे, समस्याओं के निराकरण को लेकर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं I अपने इस संघर्ष से वह जनता के बीच उक्रांद की नई पहचान बनाने में सफल रहे हैं। मोहित ने अपने साथ युवाओं की पूरी टीम खड़ी कर दी है। कोई ऐसा गांव नहीं है जिस गांव के युवा मोहित से न जुड़े हो। रुद्रप्रयाग विधानसभा के डेढ़ सौ से अधिक गांवों में उक्रांद का मजबूत संगठन खड़ा किया है। वह केवल दल के लिए कार्य नहीं कर रहे हैं, प्रत्येक समस्या को लेकर मुखर स्वर बुलंद कर रहे हैं। बुनियादी समस्याओं को पिछले एक वर्ष में उनके द्वारा जिस तरीके से शासन प्रशासन के सम्मुख उठाया गया है, उससे रुद्रप्रयाग जिले में उक्रांद के भविष्य को लेकर भी शुभ संकेत दिखने लगे हैं।
ऊर्जा से भरे हुए मोहित अब तक कई समस्याओं को लेकर 100 से अधिक आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके है। वह रुद्रप्रयाग में गांव-गांव में पेयजल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सहित अन्य ज्वलंत मुद्दों को लेकर निरंतर संघर्षरत हैं। उन्होंने कई गरीब लोगों के घर बनवाये और कई निराश्रित बालिकाओं की शादी में योगदान दिया। रेलवे प्रवाहित को रोजगार दिलाने, आपदा पीड़ितों को न्याय दिलाने, जनहित और जनसरोकारों के लिए आवाज बुलंद की। इस अवधि में बड़ी संख्या में युवा और महिलाओं को यूकेडी से जोड़ने का काम किया।
पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते कर्मचारी वर्ग, व्यापारी, किसान, महिलाएं, पूर्व सैनिक और युवाओं की आवाज़ को बुलंद किया। कोरोना काल में हजारों पीड़ितों की मदद की और उनके हक के लिए लड़ाई लड़ी। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार, पानी और रोजगार की समस्या रही हो या चारधाम यात्रा से व्यापारियों और भवन स्वामियों को पहुंचे नुकसान के मुआवजा की लड़ाई, वह जनहित की लड़ाई लड़ने और उसे मुकाम तक पहुंचाने में कामयाब रहे।
उन्होंने जन अधिकार मंच (पंजी), चारधाम परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति एवं गैरसैण राजधानी संघर्ष समिति में बतौर अध्यक्ष सफलतम नेतृत्व किया। केदारनाथ आपदा में प्रभावितों के हितों की लड़ाई लड़ी और उन्हें उनका हक दिलाया। चारधाम सड़क परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति का गठन कर प्रभावितों को मुआवजा दिलाया। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति में बतौर अध्यक्ष आंदोलन का नेतृत्व कियाI
आगामी विधानसभा चुनाव में रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से उक्रांद की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रहने वाली है। राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2002 व 2007 में उक्रांद की ओर से श्रीकृष्ण भट्ट ने राष्ट्रीय दलों को कड़ी टक्कर दी। और कांग्रेस व बीजेपी के बाद तीसरे स्थान पर रहे। लगभग पन्द्रह वर्ष बाद एक बार फिर से उक्रांद का रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर सक्रियता दिख रही है। जिससे विधानसभा चुनाव में उक्रांद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।